BA Semester-2 Ancient Indian History and Culture - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-2 प्राचीन भारतीय इतिहात एवं संस्कृति - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 प्राचीन भारतीय इतिहात एवं संस्कृति

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2723
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 प्राचीन भारतीय इतिहात एवं संस्कृति - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 12

मौखरी वंश

(Maukharies Dynasty) 

प्रश्न- मौखरी वंश की उत्पत्ति के विषय में बताते हुए इस वंश के प्रमुख शासकों का उल्लेख कीजिए।

अथवा
मौखरी वंश की प्राचीनता के विषय में आप क्या जानते हैं? इस वंश के शासकों का संक्षिप्त इतिहास बताइये।
अथवा
मौखर कौन थे? संक्षेप में बताइए।
अथवा
मौखरियों के उत्कर्ष पर टिप्पणी लिखिए।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. मौखरी वंश का परिचय दीजिए।
अथवा
मौखरी राजवंश का संक्षिप्त इतिहास लिखिए।
अथवा
मौखर कौन थे? संक्षेप में बताइए।
2. मौखरी वंश के प्रमुख राजाओं का संक्षिप्त इतिहास बताइये।
3. सर्व वर्मा के विषय में आप क्या जानते हैं?
4. मौखरी वंश के शासक अवन्ति वर्मा का राजनीतिक इतिहास बताइये।

मोखरी वंश की उत्पत्ति

मौखरियों की उत्पत्ति तथा प्रारम्भिक इतिहास अंधकारपूर्ण है। ऐसा प्रतीत होता है कि मौखरी पूर्व- गुप्तयुग के गंगा घाटी के गणराज्यों में से थे। प्राचीन भारत में अनेक मौखरी कुल हुए जो विभिन्न भागों में शासन करते थे। उनकी एक शाखा दक्षिणी बिहार तथा दूसरी गंगा-यमुना दोआब (कन्नौज) में शासन करती थी। कुषाणों के पतन के बाद सम्भवतः इन दोनों शाखाओं ने अपनी-अपनी स्वतन्त्रता घोषित कर दी होगी परन्तु गुप्तों की साम्राज्यवादी नीति ने फिर से उन्हें अधर में ढकेल दिया। पुराणों तथा गुप्तयुगीन लेखों में मौखरियों का कोई उल्लेख न होना इस बात का सूचक है कि उनका कोई राजनीतिक महत्त्व नहीं था। गया से कनिंघम महोदय को एक मुहर मिली है जिस पर मौर्ययुगीन ब्राह्मी लिपि में 'मोखलिनम' उत्कीर्ण है। इससे उनकी प्राचीनता का प्रमाण मिलता है और यह भी सूचित होता है कि लिच्छवि आदि जातियों के समान मौखरियों का भी प्रारम्भ में अपना स्वायत्तशासी गणराज्य था। कालान्तर में उनकी इस व्यवस्था में परिवर्तन हो गया और परिवर्ती गुप्तों के समय हम उन्हें राजतन्त्र के रूप में संगठित पाते हैं।

मौखरी लेखों तथा साहित्यिक प्रन्थों में 'मौखरी' तथा 'मुखर' शब्दों का प्रयोग मिलता है। हर्षचरित में उन्हें 'मुखर वंश तथा कादम्बरी में 'मौखरी वंश' कहा गया है। कय्यट, वामन तथा जयादित्य ने मौखरी शब्द की व्युत्पत्ति पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि वास्तव में यह एक पितृमूलक शब्द है। स्पष्ट है कि मुखर नामक आदिपुरुष की सन्तानों को मौखरी कहा गया। उनके लेखों में उन्हें सूर्यवंशीय क्षत्रिय कहा गया है। हरहा लेख में बताया गया है कि मौखरी वैवस्वत के वरदान से उत्पन्न अश्वपति के सौ पुत्रों में एक थे।

मौखरी वंश की प्राचीनता

प्राचीन व्याकरणाचार्य महर्षि पाणिनि ने अपने व्याकरण ग्रन्थ अष्टाध्यायी में इस शब्द का प्रयोग किया है। वामन ने भी मौखर्या' शब्द का प्रयोग किया है। राजस्थान के भूतपूर्व कोटा राज्य से 239 ई. का एक अभिलेख प्राप्त हुआ है जिसमें मौखरी सेनानी का उल्लेख हुआ हैं। तीसरी शताब्दी में राजस्थान में अनेक मौखरियों के रहने का विवरण मिलता है। इससे स्पष्ट होता है कि यह कोई नवीन वंश नहीं था।

शाखायें - छठी शताब्दी ई. में गया के पास मौखरी वंश का शासन था। यह मौखरियों की दो शाखाओं के नाम से ज्ञात होता है। बारबर और नागार्जुन अभिलेखों से ज्ञात होता है कि पहली शाखा के तीन नाम थे-

1. यज्ञवर्मा
2. शार्दूल वर्मा
3. अनन्त वर्मा

हर्षचरित तथा असीरगढ़ ताम्रमुद्रा लेख से मौखरियों की दूसरी शाखा के शासकों के नाम ज्ञात हुए है-

1. हरि वर्मा
2. आदित्य वर्मा
3. ईश्वर वर्मा
4. ईशान वर्मा,
5. सर्व वर्मा,
6. अवन्ति वर्मा
7. गृह वर्मा

कन्नौज की मौखरी शाखा - असीरगढ़ ताम्रमुद्रा में एक शाखा के पाँच राजाओं के नाम ज्ञात होते हैं। इनमें से प्रथम तीन राजाओं ने 'महाराज' की उपाधि धारण की थी। इससे स्पष्ट होता है कि तीनों किसी राजवंश के सामन्त रहे होंगे। राजा ईशान वर्मा ने महाराजाधिराज' की उपाधि धारण की थी। इससे स्पष्ट होता है कि वह सामन्त शासक न होकर स्वतन्त्र हो गया था।

हरि वर्मा - असीरगढ़ मुद्रा अभिलेख से ज्ञात होता है कि हरि वर्मा की कीर्ति चारों समुद्रों तक फैली हुई थी, जिसने अपने पराक्रम तथा स्नेह के द्वारा अन्य शासकों को अपने अधीन कर लिया था।

आदित्य वर्मा - हरि वर्मा के पश्चात् आदित्य वर्मा शासक बना उसने कृष्णगुप्त की पुत्री और मगध के हर्षगुप्त की हर्षगुप्ता से विवाह सम्बन्ध स्थापित किया। उसने भी 'महाराज' की पदवी धारण की थी। उसके पूर्व मौखरी वंश शायद मगध के गुप्त वंश के अधीन था व आदित्य वर्मा तथा ईश्वर वर्मा ने गुप्तों के साथ वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित किये थे। '

ईश्वर वर्मा - आदित्य वर्मा के पश्चात् उसका पुत्र ईश्वर वर्मा सिंहासन पर बैठा। उसके विषय में जौनपुर अभिलेख से पर्याप्त जानकारी प्राप्त होती है। दुर्भाग्यवश इस अभिलेख का बहुत सा भाग टूट गया है। इसलिए फ्लीट महोदय का मत है कि निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है कि यह अभिलेख ईश्वर वर्मा के सम्बन्ध में है अथवा उसके किसी अन्य उत्तराधिकारी के सम्बन्ध में है।

ईशान वर्मा - ईश्वर वर्मा की मृत्यु के पश्चात् उसका पुत्र ईशान वर्मा सिंहासनारूढ़ हुआ। उसकी माता का नाम उपगुप्ता था जिसने सम्भवतः 'धिराज' की उपाधि धारण की थी। हरहा अभिलेख से उसके विषय में पर्याप्त जानकारी प्राप्त होती है। इस अभिलेख से ज्ञात होता है कि 1. उसने हाथियों की एक विशाल सेना रखने वाले आन्ध्र को जीता था। 2. असंख्य घोड़ों की सेना रखने वाले शूलिकों को पराजित किया था। 3. समुद्र के किनारे रहने वाले गौड़ों को अपनी सीमा में रहने के लिए बाध्य किया था।

सर्व वर्मा - सर्व वर्मा ईशान वर्मा का पुत्र था। सर्व वर्मा एक वीर राजा था। असीरगढ़ मुद्रा अभिलेख में उसके लिए 'महाराजाधिराज' की उपाधि का प्रयोग हुआ है। उसने अपने पिता की पराजय का बदला लेने के लिए उत्तरकालीन गुप्त नरेश दामोदरगुप्त जोकि ईशान वर्मा के विजेता कुमारगुप्त का पुत्र था, से लोहा लिया था। हरहा अभिलेख में उसे दयावान, करुणामय, महत्वाकांक्षी, आत्मनिर्भर और सत्यवक्ता एवं दानी बतलाया गया है। वह ब्राह्मण धर्म का अनुयायी था और यज्ञ तथा इन्द्र की वन्दना करता था।

अवन्ति वर्मा - सर्व वर्मा के उत्तराधिकारी का सही पता नहीं चलता है। अपसद अभिलेख से ज्ञात होता है कि अवन्ति वर्मा के बाद सुस्थित वर्मा सिंहासनारूढ़ हुआ था। लेकिन किसी भी अभिलेख में उसे मौखरी नहीं माना गया है। सुस्थित वर्मा और महासेनगुप्त के युद्ध की चर्चा अवश्य हुई परन्तु यह युद्ध ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे हुआ था। देव वरनाक अभिलेख में अवन्ति वर्मा को यशोवर्मा का उत्तराधिकारी बतलाया गया है। यह उचित प्रतीत होता है क्योंकि अवन्ति वर्मा की कुछ मुद्रायें भिटौरा ढेर में ईशान वर्मा और सर्व वर्मा की मुद्राओं के साथ प्राप्त होती हैं। अवन्ति वर्मा विद्वानों का आश्रयदाता कहा जाता है। मौखरियों ने विद्वानों को सदैव ही आदर प्रदान किया था। इस बात का उल्लेख वाण ने कादम्बरी में किया है। अवन्ति वर्मा संस्कृत का प्रसिद्ध नाटककार, विशाखदत्त का दरबारी विद्वान था। 

ग्रह वर्मा - हर्षचरित के अनुसार ग्रह वर्मा अवन्ति वर्मा का ज्येष्ठ पुत्र था और उसका विवाह प्रभाकरवर्द्धन की पुत्री से हुआ था। ग्रह वर्मा और राज्यश्री के विवाह का राजनीतिक दृष्टि से बहुत अधिक महत्व था। इस विवाह के पूर्व उत्तरकालीन गुप्तों और थानेश्वर के वर्द्धन वंश का बड़ा घनिष्ठ सम्बन्ध था। वर्द्धन वंश के राजा आदित्यवर्द्धन ने गुप्त नरेश महासेन गुप्त की बहन महासेना गुप्ता के साथ विवाह किया था, परन्तु राज्यश्री और ग्रह वर्मा के विवाह के फलस्वरूप गुप्तों और वर्द्धनों के सम्बन्ध अच्छे न रहे और गौड़ नरेश से मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध स्थापित कर लिया।

मौखरी राज्य की सीमायें - मौखरी राज्य की सीमाओं के विषय में भी विद्वानों में मतभेद हैं। कुछ विद्वानों के अनुसार उनके राज्य का विस्तार अधिक था। मौखरी राज्य की सीमा पूर्व में नालन्दा तक, पश्चिम में अहिच्छत्र राज्य और थानेश्वर राज्य की सीमा तक, उत्तर में नेपाल की तराई तक और दक्षिण में मध्य प्रदेश की सीमा तक था।

लगभग सन् 606 ई. में गृह वर्मा की हत्या के पश्चात् मौखरी राज्य का अन्त हो गया। सम्पूर्ण राज्य पर हर्षवर्द्धन का अधिकार हो गया था।

मौखरी वंश का अन्त

हर्षचरित के साक्ष्य से प्रकट होता है कि अवन्ति वर्मा का एक अन्य पुत्र 'सुच' (सुचन्द्र वर्मा ) था। ऐसा प्रतीत होता है कि वह ग्रह वर्मा से अधिक छोटा था तथा उसकी मृत्यु के समय अवयस्क था। हर्ष की मृत्यु के बाद सुचन्द्र वर्मा मौखरी राज्य का शासक बना होगा। वह उत्तर गुप्त वंश के आदित्यसेन का समकालीन था। इस समय दोनों राजवंशों के सम्बन्ध मैत्रीपूर्ण रहे होंगे। आर्यमंजुश्रीमूलकल्प में ग्रह वर्मा के बाद 'सुव्र' नामक शासक का उल्लेख मिलता है। सम्भवतः 'सुव्र' तथा 'सुच' एक ही व्यक्ति हैं। उसने लगभग 664 ईस्वी तक राज्य किया। वह कन्नौज के मौखरी वंश का अन्तिम शासक था। एक नेपाली अभिलेख से पता चलता है कि भोग वर्मा नामक मौखरी राजा उत्तर गुप्त वंश के आदित्यसेन का दामाद था। सम्भव है वह सुचन्द्र वर्मा का पुत्र रहा हो तथा उसके बाद कुछ समय तक शासन किया हो। उसे 'मौखरी कुल का मुकुटमणि' कहा गया है। हाल ही में मौखरी वंश का एक लेख वाराणसी जिले के इलिया गाँव से प्राप्त हुआ है जिसमें मनोरथ वर्मा नामक राजा का उल्लेख है। ऐसा माना जाता है कि उसने भोग वर्मा के बाद शासन किया होगा। इसके बाद मौखरियों का स्वतन्त्र राजनैतिक अस्तित्व समाप्त हो गया।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास को समझने हेतु उपयोगी स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास को जानने में विदेशी यात्रियों / लेखकों के विवरण की क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
  3. प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की सुस्पष्ट जानकारी दीजिये।
  4. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के विषय में आप क्या जानते हैं?
  5. प्रश्न- भास की कृति "स्वप्नवासवदत्ता" पर एक लेख लिखिए।
  6. प्रश्न- 'फाह्यान' पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  7. प्रश्न- दारा प्रथम तथा उसके तीन महत्वपूर्ण अभिलेख के विषय में बताइए।
  8. प्रश्न- आपके विषय का पूरा नाम क्या है? आपके इस प्रश्नपत्र का क्या नाम है?
  9. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - प्राचीन इतिहास अध्ययन के स्रोत
  10. उत्तरमाला
  11. प्रश्न- बिम्बिसार के समय से नन्द वंश के काल तक मगध की शक्ति के विकास का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- नन्द कौन थे महापद्मनन्द के जीवन तथा उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
  13. प्रश्न- छठी सदी ईसा पूर्व में गणराज्यों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  14. प्रश्न- छठी शताब्दी ई. पू. में महाजनपदीय एवं गणराज्यों की शासन प्रणाली के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
  15. प्रश्न- बिम्बिसार की राज्यनीति का वर्णन कीजिए तथा परिचय दीजिए।
  16. प्रश्न- उदयिन के जीवन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  17. प्रश्न- नन्द साम्राज्य की विशालता का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- धननंद और कौटिल्य के सम्बन्ध का उल्लेख कीजिए।
  19. प्रश्न- धननंद के विषय में आप क्या जानते हैं?
  20. प्रश्न- मगध की भौगोलिक सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
  21. प्रश्न- गणराज्य किसे कहते हैं?
  22. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - महाजनपद एवं गणतन्त्र का विकास
  23. उत्तरमाला
  24. प्रश्न- मौर्य कौन थे? इस वंश के इतिहास जानने के स्रोतों का उल्लेख कीजिए तथा महत्व पर प्रकाश डालिए।
  25. प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी उपलब्धियों और शासन व्यवस्था पर निबन्ध लिखिए|
  26. प्रश्न- सम्राट बिन्दुसार का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  27. प्रश्न- कौटिल्य और मेगस्थनीज के विषय में आप क्या जानते हैं?
  28. प्रश्न- मौर्यकाल में सम्राटों के साम्राज्य विस्तार की सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
  29. प्रश्न- सम्राट के धम्म के विशिष्ट तत्वों का निरूपण कीजिए।
  30. प्रश्न- भारतीय इतिहास में अशोक एक महान सम्राट कहलाता है। यह कथन कहाँ तक सत्य है? प्रकाश डालिए।
  31. प्रश्न- मौर्य साम्राज्य के पतन के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
  32. प्रश्न- मौर्य वंश के पतन के लिए अशोक कहाँ तक उत्तरदायी था?
  33. प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के बचपन का वर्णन कीजिए।
  34. प्रश्न- अशोक ने धर्म प्रचार के क्या उपाय किये थे? स्पष्ट कीजिए।
  35. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - मौर्य साम्राज्य
  36. उत्तरमाला
  37. प्रश्न- शुंग कौन थे? पुष्यमित्र का शासन प्रबन्ध लिखिये।
  38. प्रश्न- कण्व या कण्वायन वंश को स्पष्ट कीजिए।
  39. प्रश्न- पुष्यमित्र शुंग की धार्मिक नीति की विवेचना कीजिए।
  40. प्रश्न- पतंजलि कौन थे?
  41. प्रश्न- शुंग काल की साहित्यिक एवं कलात्मक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  42. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - शुंग तथा कण्व वंश
  43. उत्तरमाला
  44. प्रश्न- सातवाहन युगीन दक्कन पर प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- आन्ध्र-सातवाहन कौन थे? गौतमी पुत्र शातकर्णी के राज्य की घटनाओं का उल्लेख कीजिए।
  46. प्रश्न- शक सातवाहन संघर्ष के विषय में बताइए।
  47. प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख के माध्यम से रुद्रदामन के जीवन तथा व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- शकों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  49. प्रश्न- नहपान कौन था?
  50. प्रश्न- शक शासक रुद्रदामन के विषय में बताइए।
  51. प्रश्न- मिहिरभोज के विषय में बताइए।
  52. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - सातवाहन वंश
  53. उत्तरमाला
  54. प्रश्न- कलिंग नरेश खारवेल के इतिहास पर प्रकाश डालिए।
  55. प्रश्न- कलिंगराज खारवेल की उपलब्धियों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  56. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - कलिंग नरेश खारवेल
  57. उत्तरमाला
  58. प्रश्न- हिन्द-यवन शक्ति के उत्थान एवं पतन का निरूपण कीजिए।
  59. प्रश्न- मिनेण्डर कौन था? उसकी विजयों तथा उपलब्धियों पर चर्चा कीजिए।
  60. प्रश्न- एक विजेता के रूप में डेमेट्रियस की प्रमुख उपलब्धियों की विवेचना कीजिए।
  61. प्रश्न- हिन्द पहलवों के बारे में आप क्या जानते है? बताइए।
  62. प्रश्न- कुषाणों के भारत में शासन पर एक निबन्ध लिखिए।
  63. प्रश्न- कनिष्क के उत्तराधिकारियों का परिचय देते हुए यह बताइए कि कुषाण वंश के पतन के क्या कारण थे?
  64. प्रश्न- हिन्द-यवन स्वर्ण सिक्के पर प्रकाश डालिए।
  65. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - भारत में विदेशी आक्रमण
  66. उत्तरमाला
  67. प्रश्न- गुप्तों की उत्पत्ति के विषय में आप क्या जानते हैं? विस्तृत विवेचन कीजिए।
  68. प्रश्न- काचगुप्त कौन थे? स्पष्ट कीजिए।
  69. प्रश्न- प्रयाग प्रशस्ति के आधार पर समुद्रगुप्त की विजयों का उल्लेख कीजिए।
  70. प्रश्न- चन्द्रगुप्त (द्वितीय) की उपलब्धियों के बारे में विस्तार से लिखिए।
  71. प्रश्न- गुप्त शासन प्रणाली पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  72. प्रश्न- गुप्तकाल की साहित्यिक एवं कलात्मक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- गुप्तों के पतन का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- गुप्तों के काल को प्राचीन भारत का 'स्वर्ण युग' क्यों कहते हैं? विवेचना कीजिए।
  75. प्रश्न- रामगुप्त की ऐतिहासिकता पर विचार व्यक्त कीजिए।
  76. प्रश्न- गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य के विषय में बताइए।
  77. प्रश्न- आर्यभट्ट कौन था? वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- स्कन्दगुप्त की उपलब्धियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  79. प्रश्न- राजा के रूप में स्कन्दगुप्त के महत्व की विवेचना कीजिए।
  80. प्रश्न- कुमारगुप्त पर संक्षेप में टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- कुमारगुप्त प्रथम की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  82. प्रश्न- गुप्तकालीन भारत के सांस्कृतिक पुनरुत्थान पर प्रकाश डालिए।
  83. प्रश्न- कालिदास पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  84. प्रश्न- विशाखदत्त कौन था? वर्णन कीजिए।
  85. प्रश्न- स्कन्दगुप्त कौन था?
  86. प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख से किस राजा के विषय में जानकारी मिलती है? उसके विषय में आप सूक्ष्म में बताइए।
  87. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - गुप्त वंश
  88. उत्तरमाला
  89. प्रश्न- दक्षिण के वाकाटकों के उत्कर्ष का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  90. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - वाकाटक वंश
  91. उत्तरमाला
  92. प्रश्न- हूण कौन थे? तोरमाण के जीवन तथा उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
  93. प्रश्न- हूण आक्रमण के भारत पर क्या प्रभाव पड़े? स्पष्ट कीजिए।
  94. प्रश्न- गुप्त साम्राज्य पर हूणों के आक्रमण का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  95. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - हूण आक्रमण
  96. उत्तरमाला
  97. प्रश्न- हर्ष के समकालीन गौड़ नरेश शशांक के विषय में आप क्या जानते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  98. प्रश्न- हर्ष का समकालीन शासक शशांक के साथ क्या सम्बन्ध था? मूल्यांकन कीजिए।
  99. प्रश्न- हर्ष की सामरिक उपलब्धियों के परिप्रेक्ष्य में उसका मूल्यांकन कीजिए।
  100. प्रश्न- सम्राट के रूप में हर्ष का मूल्यांकन कीजिए।
  101. प्रश्न- हर्षवर्धन की सांस्कृतिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिये?
  102. प्रश्न- हर्ष का मूल्यांकन पर टिप्पणी कीजिये।
  103. प्रश्न- हर्ष का धर्म पर टिप्पणी कीजिये।
  104. प्रश्न- पुलकेशिन द्वितीय पर टिप्पणी कीजिये।
  105. प्रश्न- ह्वेनसांग कौन था?
  106. प्रश्न- प्रभाकर वर्धन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  107. प्रश्न- गौड़ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  108. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - वर्धन वंश
  109. उत्तरमाला
  110. प्रश्न- मौखरी वंश की उत्पत्ति के विषय में बताते हुए इस वंश के प्रमुख शासकों का उल्लेख कीजिए।
  111. प्रश्न- मौखरी कौन थे? मौखरी राजाओं के जीवन तथा उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  112. प्रश्न- मौखरी वंश का इतिहास जानने के साधनों का वर्णन कीजिए।
  113. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - मौखरी वंश
  114. उत्तरमाला
  115. प्रष्न- परवर्ती गुप्त शासकों का राजनैतिक इतिहास बताइये।
  116. प्रश्न- परवर्ती गुप्त शासकों के मौखरी शासकों से किस प्रकार के सम्बन्ध थे? स्पष्ट कीजिए।
  117. प्रश्न- परवर्ती गुप्तों के इतिहास पर टिप्पणी लिखिए।
  118. प्रश्न- परवर्ती गुप्त शासक नरसिंहगुप्त 'बालादित्य' के विषय में बताइये।
  119. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - परवर्ती गुप्त शासक
  120. उत्तरमाला

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